श्री राम नाम महिमा
श्री राम नाम महिमा
******************
राम की माया राम ही जाने, ना जाने इन्सान रे ।
स्वाँस-स्वाँस में राम समाया, कण -कण में भगवान रे ।।
*
राम ही थल में राम ही जल में, बसे पवन में राम रे ,
पातालों में राम बसा है, गूँजे अम्बर नाम रे,
राम सभी का मूल तत्व है, इतना धर ले ध्यान रे ।(1)
*
सूरज-चंदा से दो आँखर, भस्म करें हर पाप रे ,
महिमा को पहचान बावले, छूटेंगे भव ताप रे ,
राम ही पाले राम ही पोसे, ये ही साँचा ज्ञान रे ।(2)
*
राम नाम की जिसने थामी, अपने हाथों डोर रे,
कभी न छूटे उन हाथों से, राम नाम का छोर रे,
राम नाम ही हरे सभी का, लोभ मोह अभिमान रे ।(3)
*
राम नाम की दौलत लुटती, लूट सके तो लूट रे,
आज लूटने की दे दी है, राम प्रभो ने छूट रे,
राम-रतन से झोली भर ले, राम नाम वरदान रे ।(4)
*
राम रमैया गाये जा तू, राम करे भव पार रे,
राम नाम तलवार धार ले, कभी न होगी हार रे ,
‘ज्योति’ राम के रसिया प्यारे, पवन पुत्र हनुमान रे ।(5)
🌹
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
🌳🌳🌳