श्री रामजी
🦚
श्री राम
********
राम वन जाते नहीं , बनते न भगवान,
अवध के मात्र नृप रामजी कहाते जी ।
लेती जो न केकयी बुराई संग मंथरा के,
केवट के द्वारे कभी राम नहीं आते जी ।
घूमते न घाट-वन जंगल में रघुनाथ ,
हनुमान जैसे भक्त कैसे राम पाते जी ।
हरण न होता नहीं रावण ही मरता यों,
देश में दशहरा को ऐसे न मनाते जी ।
०
राधे…राधे…!
🌹
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
***
🌷🌷🌷