श्री कृष्ण
मोर मुकुट ले बाँसुरी, खेलन चले गोपाल ।
निरखि छवि भगवान की, चकित भये सब ग्वाल ।।
चकित भये सब ग्वाल, संग संग गौ हांकते ।
सुनने मुरली तान,सब प्रभु तरफ भागते ।।
कहता जगदीश है, आनन्द का न था छोर ।
भूख प्यास मिट गई, जंगल मे नाचे मोर ।।
।।।जेपीएल।।।