श्री कृष्ण कथा सार
!!श्री कृष्ण !!
श्री कृष्ण कथा सार
द्वितीय सोपान
अंक – २०
०००
शिव आगमन
०००
कथा कृष्ण की बड़ी अलौकिक , सरस सुहानी रे ।
मधुर कथा से भवसागर तर, जाये प्राणी रे ।।
जय गोविन्दे…जय गोविन्दे …!
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(घनाक्षरी)
हरि अवतार हुआ, शिव ने ये जान लिया,
छवि के दरश हित , अति अकुलाये हैं ।
जोगी का बनाया रूप, साधु दिव्य अवधूत,
दरश की प्यास लिये , गोकुल में आये हैं ।।
नंद जी के द्वार आय, अलख दियौ जगाय ,
शंख को बजाया हरी, हर ने जगाये हैं ।
पलना में झूल रहे , रमापति नारायण,
आये शिव जान मंद -मंद मुसकाये हैं ।।
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(लोक गीत)
चढ़ौ कान्हाँ कौ ऐसौ रंग ।
चल दिये भोलेनाथ , नादिया लै कै अपने संग ।।
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भस्म मल कै ब्रज मंडल आय,
नाथ नै दीयौ अलख जगाय,
जसोदा ठाड़ी भिक्षा लाय ,
कहै मेरौ लाला जग ना जाय,
मत ना अलख जगावै जोगी, सोवै गोकुल चंद ।
चढ़ौ कान्हाँ कौ ऐसौ रंग ।।(१)
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अरी तू सुन लै मेरी बात ,
न चहियै मोकूँ रोटी भात,
मान लै मैया मेरी बात ,
दिखाय दै मोकूँ अपनौ तात
बहुत दूर ते आयौ मैंनै करी समाधी भंग ।
चढ़ौ कान्हाँ कौ ऐसौ रंग ।।(२)
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अरे जा जोगी अपने धाम,
तोय मेरे लल्ला ते कहा काम,
देख तोय डरपै मेरौ श्याम ,
मचायौ रुदन कृष्ण अविराम,
जोगी ठाड़ौ हँसै देख कै मैया है रही तंग ।
चढ़ौ कान्हा कौ ऐसौ रंग ।।(३)
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लाल कूँ लाई बाहर हार ,
करी जोगी नै जै- जैकार
रूप लख जाय रहे बलिहार,
मंद मुसकायौ कृष्ण मुरार ,
चले दरश कर चरन सीस धर, जिन सिर सोहै गंग ।
चढौ कान्हाँ कौ ऐसौ रंग ।।(४)
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दोहा-
दरशन पा नँदलाल के , चरन छिवाये माथ ।
अलख जगा कैलाश कूँ, लौटे भोले नाथ ।।
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जय जय गोवर्धन गिरिधारी ।
जय जय माधव मदन मुरारी ।।
जय जय राधा रमण बिहारी ।
जय जय चक्र सुदर्शन धारी ।।
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क्रमशः…!
-महेश जैन ‘ज्योति’
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