श्री कृष्ण कथा सार
!!श्री कृष्ण !!
श्री कृष्ण कथा सार
द्वितीय सोपान
अंक- १९
०००
नामकरण
०००
मल्हार-
घटुअन डोलैं, यशुदा के आँगना जी ,
ऐजी इनके पामन में , अजी हाँ हाँ इनके पामन में ,
पैजनियाँ घुँघरूदार ।
घुटुअन डोलैं यशुदा के आँगना जी ।।
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पैंजनि छनकें, छननन पाम में जी ,
ऐजी लागै शारद ने, अजी हाँ हाँ लागै शारद ने,
छेड़े हैं वीणा तार ।
घुटुअन डोलैं यशुदा के आँगना जी ।।
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सुन धुन मिसरी, घुर जाय कान में जी ,
ऐजी देखैं मैया तौ, अरे हाँ हाँ देखैं मैया तौ ,
झरै रे उर प्यार ।
घुटुअन डोलैं, यशुदा के आँगना जी ।।
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कछुआ से सरकैं, दोऊ बल पेट के जी ,
ऐजी मैया मुसकावैं, अरे हाँ हाँ मैया मुसकावैं,
रे जावैं बलिहार ।
घुटुअन डोलैं , यशुदा के आँगना जी ।।
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कान्हाँ तौ कारौ, दाऊ दादा ऊजरौ जी ,
ऐजी ब्रज की माँटी में, अरे हाँ हाँ ब्रज की माँटी में ,
लोटे रे करतार ।
घुटुअन डोलै ,यशुदा के आँगना जी ।
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यशुदा नन्दन मोहन श्याम।
रोहिणिनंदन श्री बलराम।।
दोनों खेल रहे ब्रज धाम ।
जय श्री कृष्णा ,जय बलराम ।।
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जय जय गोवर्धन गिरिधारी ।
जय जय माधव मदन मुरारी ।।
जय जय राधा रमण बिहारी ।
जय जय चक्र सुदर्शन धारी ।।
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क्रमशः…!
-महेश जैन ‘ज्योति’
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