श्रीराम
घनाक्षरी
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पाप, अनाचार, अत्याचार के संहार हेतु,
दीनों की पुकार सुनि, धरा पे पधारे हैं,
हरे जगती के भय, धर्म की कराने जय,
युग युग में वो प्रभु राम अवतारे हैं ।
दुष्टों को देते हैं दंड, भक्तों को भक्ति अखंड,
रूप धर के प्रचंड असुर संहारे हैं,
राम नाम सुखधाम, जप मन अविराम,
दीन और सज्जन प्रभु को अति प्यारे हैं ।।
– नवीन जोशी ‘नवल’