श्रीराम चाहिए
निशि दिन भोर शाम,
करो सूचि शुभ काम,
गुन सीख अवधेश ,
यश में ही रहिये।
ऊँच-नीच, जात-पाँत,
न देना किसी को मात,
मातु पितु मान हेतु,
चाहे दुःख सहिये।
आप श्रेष्ठ जग प्राणी,
बोलें सदा मीठी वाणी,
छोटे बड़े सबको ही,
राम राम कहिये।
विश्व शांति रक्षा हेतु,
आप भी बनाओ सेतु,
पाने को अमिय आप,
सागर को महिये।
बढ़ रहा धरा ताप,
फैला दशानन पाप,
फिर एक राम चन्द्र,
वसुधा को चाहिए।
-अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.