श्रीराधाष्टमी पर्व…
? जय जय श्रीराधे ?
चराचर जगत कूं ब्रजबल्लभा ब्रजस्वामिनी रसिकप्रिया ”श्री राधेजू” के प्राकट्योत्सव ” श्रीराधाष्टमी पर्व ” की अनन्त मङ्गल कामनाएं एवम् कोटानिकोट बधाइयाँ।
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रंग-रूप रस रागिनी,राधे रस की खान।
राधे-राधे रट रहे, राधा रसिक सुजान।।
राधे-राधे रट सदा,रैन-दिवस धर-धीर।
कृपा किशोरी जू करें,मन मति होय अधीर।।
राधे जू रस खानि हैं,करें सदा कल्याण।
मेरे तन में बस रहौ,जनु पुतली में प्राण।।
रसराजहिं प्राणेश्वरी,रसिकन प्राणाधार।
चरणन कौ चेरौ करौ,आयौ तेरे द्वार।।
राधा नाम लिए बिना,चैन नहीं दिन-रैन।
हिय में व्यापै रोग सौ,रहें निरखते नैन।।
राधे रसरानी रखौ,रसराजहि रसराज।
जुगल-छवी के दरश कूं,तरसै सकल समाज।।
राधे जू के तेज सौं, सरस भये रसराज।
ब्रजजन सौं ब्रजराज जू,ब्रज-बल्लभ हैं आज।।
भक्त हृदय में वास हो, जुगल छवी सरकार।
राधे-रस राधन रहै, रसना राधेसार।।
वृंदा विपिन विहारिणी, ब्रजबल्लभ ब्रजबीर।
कोर कृपा की कीजिए, मिटै सकल भवपीर।।
कृष्ण-बल्लभा आप हो, ब्रजेश्वरी सरकार।
चरण-शरण में लीजिए, ‘तेज’ करै मनुहार।।
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? तेज मथुरा✍
? प्रेम से बोलिए जय जय श्रीराधे…..श्याम ?