श्रीमद भागवत कथा व्यास साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया गोरखपुर
प्रस्तावना
श्रीमद भागवत महापुराण, सनातन धर्म का वह दिव्य ग्रंथ है, जो जीवन के गहन रहस्यों और धर्म के मर्म को प्रकट करता है। यह केवल एक कथा ही नहीं, बल्कि मानवता के कल्याण का मार्गदर्शन है, जो भगवान श्रीकृष्ण के अद्वितीय जीवन, उनके भक्तों और समस्त सृष्टि के गूढ़ सिद्धांतों को सरल भाषा में प्रस्तुत करता है। इसकी कथा सुनने मात्र से ही भक्तों के हृदय में आध्यात्मिक जागृति होती है, और यही श्रीमद भागवत का वास्तविक सार है।
इस दिव्य कथा को एक अद्वितीय रूप में प्रस्तुत करने का कार्य, मात्र आठ वर्षीय साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया ने अपने संकल्प, समर्पण और अद्वितीय प्रतिभा से किया है। साध्वी श्वेतिमा ने न केवल श्रीमद भागवत के श्लोकों को कंठस्थ किया है, बल्कि अपनी गहन श्रद्धा और सरल हृदय से इन श्लोकों के भावों को श्रोताओं तक पहुंचाया है। उनकी कथा वाचन शैली, मासूमियत और गंभीरता के संयोग से इस कथा को और भी अधिक प्रेरणादायक और आत्मीय बना देती है।
यह पुस्तक, श्रीमद भागवत कथा के सातों दिन के वर्णन को संग्रहित करती है, जो साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया के वाचन और उनके दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य न केवल पाठकों को भागवत कथा के गूढ़ तत्वों से परिचित कराना है, बल्कि उनकी आत्मा को भी शुद्ध करने और जीवन के आध्यात्मिक आयामों से जोड़ना है।
बाल कथा व्यास साध्वी श्वेतिमा का यह प्रयास इस बात का प्रमाण है कि आयु कभी भी ज्ञान और भक्ति के मार्ग में बाधा नहीं बनती। इस पुस्तक के माध्यम से, वे उन सभी को प्रेरित करना चाहती हैं जो धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने के इच्छुक हैं। यह पुस्तक सभी उम्र के पाठकों के लिए एक अमूल्य धरोहर होगी, जिसमें श्रीमद भागवत कथा के शाश्वत सत्य और सजीव उपदेश भरे हुए हैं।
श्रीमद भागवत के इस सारगर्भित रूप में साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया ने अपनी बाल बुद्धि से जो योगदान दिया है, वह न केवल एक अद्वितीय प्रयास है, बल्कि एक पवित्र सेवा भी है। इस पुस्तक के माध्यम से, वे पूरे विश्व में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने का अपना संकल्प पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही हैं। आशा है कि यह पुस्तक सभी पाठकों के हृदय में धर्म और भक्ति के प्रति नई ऊर्जा और चेतना का संचार करेगी।
साध्वी श्वेतिमा माधव प्रिया का यह प्रयास निश्चित ही सनातन धर्म के प्रचार और प्रसार में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा, और उनका संकल्प, ‘कथा वाचन एक मिशन है, न कि पेशा,’ इस पुस्तक के हर पन्ने में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होगा।
लेखिका
डॉ निशा अग्रवाल
जयपुर, राजस्थान