Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Aug 2020 · 3 min read

श्रम के धन से अन्न की तृप्ति भली

पहली बार क्लीनिक खोली थी । मेरी क्लीनिक पर एक करीब बारह साल के लड़के को बड़े होकर कंपाउंडर बनने की चाह रखते हुए उसकी मां ने मेरे यहां ड्यूटी करने के लिए लगवा दिया था । सुबह 10:00 बजे जब क्लीनिक खोलकर मैं बैठ जाता था उसके 15:20 मिनट बाद वह कहीं से प्रगट होता था मैं नित्य प्रतिदिन यह देखता था कि वह आते समय अपने हाथ में एक दोने में कभी बर्फी रसगुल्ला कभी समोसा जलेबी कभी खस्ता छोले पूरी – कचोरी इत्यादि कुछ ना कुछ ले करके आता था और मेरे सामने स्टूल पर बैठकर हिल हिल के आनंद लेकर खाता था । मैं सोचता था कि कम से कम जितनी तनख्वाह मैं उसे देता हूं इतने में तो इसको रोज यह नाश्ता नहीं मिल सकता । एक दिन उत्सुकता वश मैंने उससे पूछ ही लिया
‘ यह जो तुम रोज एक नया ताजा नाश्ता करते हो यह कहां से लाते हो ?
वह अपने दोने की ओर इशारा कर खाते खाते बोला
‘ यह तो जब मैं घर से चलता हूं तो रास्ते में एक हलवाई की दुकान पड़ती है । उसकी दुकान के चारों ओर नाश्ता करने वाले ग्राहकों भीड़ लगी होती है जो जमीन पर दोने कागज पत्तल आदि बिखरा देते हैं , वह हलवाई मुझसे कहता है इन्हें समेट दे , मैं जमीन पर बिखरे दोने पत्तल उठाकर एक डस्टबिन में डाल देता हूं और फिर उसके बाद वो मुझे यह नाश्ता दे देता है । फिर मैं आपके यहां आ जाता हूं।
*****
एक समय की बात है मेरे पड़ोस में एक बैंक कर्मी रहा करते थे जो शायद पद में इतने बड़े ओहदे पर कार्यरत नहीं थे जितना कि अच्छा और महंगा खाना अक्सर शाम को मैं उनके यहां बनते देखता था । अक्सर कभी पनीर , मटन ,चिकन तो कभी महंगी सब्जियां ।
कभी-कभी पड़ोसी के प्रेम व्यवहार में वह अपने यहां बनाए हुए ये स्वादिष्ट व्यंजन मेरे यहां भी भेज देते थे । हालांकि इसका रहस्य मैं कभी उनसे जानना नहीं चाहता था पर एक दिन उन्होंने खुद ही मुझे बताया कि
‘ साहब जब सुबह बैंक जाने के लिए मैं बाजार से गुजरता हूं तो लोग मुझ पर विश्वास करते हुए अपने पैसे मुझे दे देते हैं जिसे मैं बैंक में जाकर उनके खातों में जमा करवा देता हूं और लौटते समय वे मुझे उपकृत करते हुए वह कभी पनीर , चिकन , मटन अच्छी सब्जियां आदि दे देते हैं ।’
*****
एक बार मेरे एक इंजीनियर मित्र ने मुझे एक ऑस्ट्रेलिया में पैदा हुई मटर का पैकेट दिया और तारीफ करते हुए बताया यह बहुत स्वादिष्ट होती है । हम लोगों ने उन्हें पका करके खाया और वे वाकई में भी अच्छी थीं । मैंने एक बार उनसे मटर की तारीफ करते हुए पूछा कि यह मटर उन्हें कहां से प्राप्त हुईं ?
इस पर उन्होंने बताया
‘ हमारे विभाग में मज़दूरों के लिए काम के बदले अनाज की योजना लागू है और यह मटर उन मजदूरों को वितरण के लिये आई है ।’
******
किसी भी ऐसे व्यवसाय में जहां हमारा सामना आम जनता एवं ग्रामीणों से होता है तो उनको दी गई अपनी सेवाओं के बदले में हमें धन की प्राप्ति तो होती ही रहती है और धन से संतुष्टि भी मिलती है पर और धन कमाने की लालसा बनी रहती है । पर जब कभी कोई ग्रामीण हमें उपकृत करने के लिए कुछ धनिया , पुदीना , गुड़ या गन्ना इत्यादि ले आता है उससे जो तृप्ति मिलती है वह पैसे से बढ़कर है । वह बात अलग है कि प्रायः ऐसे लोगों द्वारा फिर आपके ऊपर अपने प्यार के अधिकार के स्वरूप में आपसे आपके मेहनताने में से कुछ कटौती कर लेना तर्कसंगत एवम यथोचित प्रतीत होता है ।
यह काम के बदले पैसा या अनाज के प्रश्न पर बुद्धिजीवियों के बीच मंथन होता रहता है ।
वर्तमान कोरोना काल सड़कों पर निकले श्रमिकों की संतुष्टि धन से एवं उनकी तृप्ति अन्न से कर पुण्य अर्जित करने का समय है ।

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 1 Comment · 497 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गर्मी और नानी का आम का बाग़
गर्मी और नानी का आम का बाग़
अमित
"हिचकी" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
भारतीय ग्रंथों में लिखा है- “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुर
भारतीय ग्रंथों में लिखा है- “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुर
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
यूँ डरकर मत लौट चलो, इतने करीब आकर।
यूँ डरकर मत लौट चलो, इतने करीब आकर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Khata kar tu laakh magar.......
Khata kar tu laakh magar.......
HEBA
उस दर पे कदम मत रखना
उस दर पे कदम मत रखना
gurudeenverma198
#Secial_story
#Secial_story
*प्रणय*
प्रतिदिन ध्यान लगाये
प्रतिदिन ध्यान लगाये
शिव प्रताप लोधी
एक दिन
एक दिन
हिमांशु Kulshrestha
मन करता है
मन करता है
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
मेरी कविताएं पढ़ लेना
मेरी कविताएं पढ़ लेना
Satish Srijan
*जय माँ झंडेया वाली*
*जय माँ झंडेया वाली*
Poonam Matia
*कृपा कर दो हे बाबा श्याम, खाटू के सहारे हैं (भजन)*
*कृपा कर दो हे बाबा श्याम, खाटू के सहारे हैं (भजन)*
Ravi Prakash
!! हे लोकतंत्र !!
!! हे लोकतंत्र !!
Akash Yadav
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
इंसानियत अभी जिंदा है
इंसानियत अभी जिंदा है
Sonam Puneet Dubey
कर्म योग: मार्ग और महत्व। ~ रविकेश झा।
कर्म योग: मार्ग और महत्व। ~ रविकेश झा।
Ravikesh Jha
" प्रार्थना "
Chunnu Lal Gupta
"गुमान"
Dr. Kishan tandon kranti
इंतजार
इंतजार
इंजी. संजय श्रीवास्तव
चुनावी घनाक्षरी
चुनावी घनाक्षरी
Suryakant Dwivedi
3547.💐 *पूर्णिका* 💐
3547.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
* सुखम् दुखम *
* सुखम् दुखम *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चल‌ मनवा चलें....!!!
चल‌ मनवा चलें....!!!
Kanchan Khanna
बिछ गई चौसर चौबीस की,सज गई मैदान-ए-जंग
बिछ गई चौसर चौबीस की,सज गई मैदान-ए-जंग
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कह दो!
कह दो!
©️ दामिनी नारायण सिंह
माता रानी दर्श का
माता रानी दर्श का
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
चरित्र अपने आप में इतना वैभवशाली होता है कि उसके सामने अत्यं
चरित्र अपने आप में इतना वैभवशाली होता है कि उसके सामने अत्यं
Sanjay ' शून्य'
प्रेम कब, कहाँ और कैसे ख़त्म हो जाता है!
प्रेम कब, कहाँ और कैसे ख़त्म हो जाता है!
पूर्वार्थ
*प्रेम कविताएं*
*प्रेम कविताएं*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...