श्रधांजलि
डा . अरुण कुमार शास्त्री / एक अबोध बालक / अरुण अतृप्त
श्रधांजलि
आदरणीय माल्वीय जी ने फेस बूक पर एक पोस्ट डाली थी जिसमे एक चित्र था इलाहावाद / प्रयागराज स्टेशन का तथा एक मजार का जो की दो प्लेट फोर्म के मध्य बनी हुइ है उस पर उन्होने लिखा ये मजार प्रयागराज रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक जगह पर बनी है। क्या रेलवे मंत्रालय को ये अपवाद दिखाई नही देता, कौन सी रजिस्ट्री के तहत रेलवे स्टेशन पर मस्जिद और दरगाह बनाने की परमिशन दी गयी, और किसने दी ?? अगर किसी ने नही दी तो दरगाह को हटा क्यों नही देते ?? कल उठकर वहा पक्का मकान रेलवे लाइन पर बनायेगे तब भी चुप बैठेगी सरकार? उस विषय में मेरे २०२० के जनवरी माह की यात्रा के दौरान , मैने जो सुना पढ़ा या देखा वो लिख रहा अपनी इस कथा में |
इसी स्थान पर .प्रयागराज रेल्वे स्टेशन के शुरुअती दिनो मे प्लेट फोर्म न 1 पर विकास का कार्य चल रहा था पटरी बिछाने का काम शुरु हुआ उस दिन जितना काम हुआ उस से सन्तुष्ट इंजिनियेर व लेवर अपने घर चले गए व जब वे सुबह फिर काम पर आए तो पिछले दिन का काम जो हुआ था वो सब उखाडा हुआ मिला सब मिट्टी मिट्टी . बहुत हैरान हुए सब जगह पता किया कोई सुराग नही के ये किसने की तो उसे भूल कर फिर काम शुरु हुआ . उस दिन जितना कार्य हो सका वो पूरा कर के, फिर सब अपने घर चले गये लेकिन सुबह जब आए तो फिर वही हाल .
उनकी हालत पतली हो गई ये हो क्या रहा है ऐसा तो कभी हुआ नही हमारे साथ् फिर ये क्या . उन्होने 4 मजदूर उस रात काम खतम होने के बाद निगरानी के लिए रख दिए सी आर पी एफ को भी रिपोर्ट कर दी हेड ओफिस भी रिपोर्ट भेजी .
सभी कुछ ठीक रहा 2 बजे तक लेकिन 2 से 4 के बीच कोई भी सुरक्षा कर्मी चाहते हुए भी जाग न सका न जाने केसी निद्रा आई सब सो गए .
और फिर वही हुआ जो होना था .
अगले दिन जब सब आए साथ् अधिकारी भी आए और प्रशासन के लोग भी वहाँ का हाल देख सब हैरान जब सुरक्षा अधिकारियों से बात हुइ वो बोले हम सब अलेर्ट थे न कोई आया न कोई गया हमारी जानकारी के अनुसार सब दुरुस्त रहा और अब ये हाल हमे कुछ नही पता ये कैसे कब किसने किया सबका यही एक जबाब . हाँ 2 से 4 के बीच हमें अचानक से नशा सा छा गया हम बेसुध होकर सो गए व सुभह देखा तो ये हाल था
अब अधिकारी चक्कर में – उन्होने फिल्हाल काम रोक दिया केन्द्र से बात हुइ तो केन्द्र ने एक 5 सदस्यीय पेनल भेज दिया जिसने मुआइना किया फिर उस पेनल के हेड जो सभी को प्रिय थे और सब को सम्मान करते थे ने रिपोर्ट भेजी की इस स्थान पर बीच के प्लेट फोर्म पर एक मजार थी जो जाने अन्जाने मे किसी विकास की प्रक्रिया में स्टेशन की जमीन पर पहले से थी और हटा दी गई , जानकारी निकालने पर ये बात स्पष्ट हो गई .
सुझाव आया की उसका पुनरास्थापन किया जाए तो ही काम हो पायेगा . हेड क्वार्टर से तुरन्त पर्मिशन आ गया और मजार का पुनर्स्थापन हुआ . वहाँ 5 समय की नमाज पढी गई मुआफी मांगी गई , फिर काम किया गया तो सब कुछ व्यवस्थित हुआ और पहले से अच्छे तरीके से व तेजी से हुआ
हम कितना भी शिक्षा प्राप्त कर लें कितना भी तजुर्वा ले लें लेकिन आस्था का आसरा कभी नही छोडे क्युकी ये आस्था ही हमारे जीवन का आधार है . देवत्व का कोई साक्षी नही होता उसके कृतित्व ही उसके प्रमाण होते हैं और उनको कभी नजरन्दाज नही करना चाहिए – यथायोग्य श्रद्धा देकर उनका मान रखना चाहिए |