*श्रद्धा ही सत्य है*
श्रद्धा ही सत्य है
जब प्रेम जगे गुरु के प्रति मोहक तो समझो सब काम बना।
नित साहस में अति वृद्धि दिखे शिशु बुद्धि तुरन्त सहस्र गुना।
मन चंचलता पर रोक लगे गतिमान विवेक सदा उगता।
गुरु देत सदा शिशु को अपना सब ज्ञान अमोल दया ममता।
गुरु के पग से नित स्नेह जिसे वह शिष्य सुधी अति विज्ञ बने।
गुरु का चरणामृत पान करे गुरु का हर शब्द सहर्ष गुने।
गुरु में प्रिय ध्यान लगावत है अपना मधु ज्ञान बढ़ावत है।
गुरु अर्थ बतावत है शिशु को अति पावन मंत्र सिखावत है।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।