श्रद्धा से ही श्राद्ध
श्रद्धा से ही श्राद्ध
पूर्वज हित सम्मान का,रख ऋषियों ने ध्यान।
श्राद्ध पक्ष दी योजना,पितर ऋणी पहचान।।
पालन पोषण संपदा,मात पिता की देन।
उपकारो से सब ऋणी,धर्म कर्म हित चेन।।
श्राद्ध कर्म की साधना,समझ पितृ मेहमान।
श्रद्धा सेवा भावना,समझ रखे संतान।।
श्राद्ध पक्ष पर हिन्द में,श्रद्धांजलि इक पर्व ।
पितृ निमित्त भोजन करे,पशु पक्षी नर सर्व।।
श्राद्ध पक्ष जो मानते,हिन्दू वंशी शुद्ध ।
हवा पश्चिमी हो जहाँ,आश्रम रहते वृद्ध।।
श्रद्धा से ही श्राद्ध है, तभी पितर सम्मान।
बिन श्रद्धा भोजन भजन,धोखा है श्रीमान ।।
राजेश कौरव सुमित्र