श्रद्धा बिन श्राद्ध किस काम का ?
श्रद्धा के बिना श्राद्ध का कोई मोल नहीं,
अब कहां से आया प्यार ,आदर सत्कार उमड़ कर,
जीतेजी तो उनसे कभी बोले दो मीठे बोल नहीं।
अब आंखों से आंसुओं की वर्षा हो रही है उमड़ घुमड़ कर ।
श्रद्धा के बिना श्राद्ध का कोई मोल नहीं,
अब कहां से आया प्यार ,आदर सत्कार उमड़ कर,
जीतेजी तो उनसे कभी बोले दो मीठे बोल नहीं।
अब आंखों से आंसुओं की वर्षा हो रही है उमड़ घुमड़ कर ।