समर्पण
श्रद्धा-प्रेम-विश्वास का ,
मैं पूर्ण समर्पण लाई हूँ।
तुम जो चाहो वही दिखाए ,
ऐसा दर्पण लाई हूँ।
तन-मन-धन सब सौप दूँ तुमको ,
तुम से ही है जीवन प्राण-
प्रेम यज्ञ में बना स्वयं को ,
समिधा अर्पण लाई हूँ।
-लक्ष्मी सिंह
श्रद्धा-प्रेम-विश्वास का ,
मैं पूर्ण समर्पण लाई हूँ।
तुम जो चाहो वही दिखाए ,
ऐसा दर्पण लाई हूँ।
तन-मन-धन सब सौप दूँ तुमको ,
तुम से ही है जीवन प्राण-
प्रेम यज्ञ में बना स्वयं को ,
समिधा अर्पण लाई हूँ।
-लक्ष्मी सिंह