श्रंगार
गर्म सलाखों सी पेवस्त हो रही तुम्हारी आंखें।
गर्म लावा सी बदन को धधका रही तुम्हारी सांसें।
पत्थर से मेरे दिल को मोम बना रहे तुम्हारे वादें।
मेरे वजूद को मुझ से ही जुदा कर रहे तुम्हारे इरादे।
विपिन
गर्म सलाखों सी पेवस्त हो रही तुम्हारी आंखें।
गर्म लावा सी बदन को धधका रही तुम्हारी सांसें।
पत्थर से मेरे दिल को मोम बना रहे तुम्हारे वादें।
मेरे वजूद को मुझ से ही जुदा कर रहे तुम्हारे इरादे।
विपिन