Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2024 · 1 min read

श्रंगार

इस हाड़ कंपकंपाती ठंड में इश्क की गर्मी का क्या कहना।
मौहब्बत के मिलन में सर्दी के हुए उपचार का क्या कहना।
कोई और चारा बचा नहीं सर्दी की अगन को शान्त करने का।
जब होश ही बाकी न रहे प्रेम के उफनते ताप का क्याकहना।
विपिन

27 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक दोहा दो रूप
एक दोहा दो रूप
Suryakant Dwivedi
बिना जिसके न लगता दिल...
बिना जिसके न लगता दिल...
आर.एस. 'प्रीतम'
"मुश्किलों का आदी हो गया हूँ ll
पूर्वार्थ
"परछाई"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरा दिन भी आएगा !
मेरा दिन भी आएगा !
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
खुद का नुकसान कर लिया मैने।।
खुद का नुकसान कर लिया मैने।।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
देखिए अगर आज मंहगाई का ओलंपिक हो तो
देखिए अगर आज मंहगाई का ओलंपिक हो तो
शेखर सिंह
पहले मैं इतना कमजोर था, कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था।
पहले मैं इतना कमजोर था, कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था।
SPK Sachin Lodhi
दोहा समीक्षा- राजीव नामदेव राना लिधौरी
दोहा समीक्षा- राजीव नामदेव राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
इच्छाओं से दूर खारे पानी की तलहटी में समाना है मुझे।
इच्छाओं से दूर खारे पानी की तलहटी में समाना है मुझे।
Manisha Manjari
*इमली (बाल कविता)*
*इमली (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Lines of day
Lines of day
Sampada
शमशान घाट
शमशान घाट
Satish Srijan
बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
Rajesh Kumar Arjun
🙏
🙏
Neelam Sharma
जीवन पथ
जीवन पथ
Dr. Rajeev Jain
सहारे
सहारे
Kanchan Khanna
पूजा
पूजा
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
शाकाहार स्वस्थ आहार
शाकाहार स्वस्थ आहार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
विभजन
विभजन
Bodhisatva kastooriya
पापा गये कहाँ तुम ?
पापा गये कहाँ तुम ?
Surya Barman
उमंग जगाना होगा
उमंग जगाना होगा
Pratibha Pandey
It All Starts With A SMILE
It All Starts With A SMILE
Natasha Stephen
वो रंगीन स्याही भी बेरंग सी नज़र आयेगी,
वो रंगीन स्याही भी बेरंग सी नज़र आयेगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
डर
डर
अखिलेश 'अखिल'
****महात्मा गाँधी****
****महात्मा गाँधी****
Kavita Chouhan
समीक्षा ,कर्त्तव्य-बोध (कहानी संग्रह)
समीक्षा ,कर्त्तव्य-बोध (कहानी संग्रह)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कुछ लोग बहुत पास थे,अच्छे नहीं लगे,,
कुछ लोग बहुत पास थे,अच्छे नहीं लगे,,
Shweta Soni
सब कुछ बदल गया,
सब कुछ बदल गया,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
समय के साथ
समय के साथ
Davina Amar Thakral
Loading...