श्रंगार
प्रिय तुम्हारे प्रेम की संपदा पाकर अभिभूत हूं मै।
तुम्हारे मिलन की परिकल्पना से प्रफुल्लित हूं मै।
न बिछुडना अब कभी भी हमारा साथ छोड़कर।
तुम बसी हो सांसों में जिसमें अस्तित्व खो चुका हूं मै।
विपिन
प्रिय तुम्हारे प्रेम की संपदा पाकर अभिभूत हूं मै।
तुम्हारे मिलन की परिकल्पना से प्रफुल्लित हूं मै।
न बिछुडना अब कभी भी हमारा साथ छोड़कर।
तुम बसी हो सांसों में जिसमें अस्तित्व खो चुका हूं मै।
विपिन