Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2024 · 1 min read

श्रंगार

वह तुम्हारा झटके से जाना दूर जाकर पलट के मुस्कुराना।
शब्दों से इंकार करके नयनो को चंचलता से इधर उधर घुमाना।
मझधार में छोड़ करके फिर खूबसूरत होंठों का अदा से चुभलाना।
कसम से क्या मार ही डालोगे कहां से सीखा यूं धीरे धीरे तड़पाना।
विपिन

36 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Loading...