श्रंगार
वह तुम्हारा झटके से जाना दूर जाकर पलट के मुस्कुराना।
शब्दों से इंकार करके नयनो को चंचलता से इधर उधर घुमाना।
मझधार में छोड़ करके फिर खूबसूरत होंठों का अदा से चुभलाना।
कसम से क्या मार ही डालोगे कहां से सीखा यूं धीरे धीरे तड़पाना।
विपिन
वह तुम्हारा झटके से जाना दूर जाकर पलट के मुस्कुराना।
शब्दों से इंकार करके नयनो को चंचलता से इधर उधर घुमाना।
मझधार में छोड़ करके फिर खूबसूरत होंठों का अदा से चुभलाना।
कसम से क्या मार ही डालोगे कहां से सीखा यूं धीरे धीरे तड़पाना।
विपिन