श्याम भयी न श्वेत भयी …
श्याम भयी न श्वेत भयी …
श्याम भयी न श्वेत भयी
जब काया मिट के रेत भयी
लौ मिली जब ईश लौ से
भौतिक आशा निस्तेज भयी
रंग बिरंगे रिश्ते सारे
जीवन में सौ बार मिले
मोल जीव ने तब समझा
जब सुख शूलों की सेज़ भयी
सब थे साथी इस काया के
पर मन वृन्दावन सूना था
अंश मिला जा अपने अंश से
जब अग्नि चिता की तेज भयी
सुशील सरना