श्यामा मेरे…
श्यामा मेरे…
तुम आओ मेरे द्वारे
आस लगाई बैठी कब से
यह गोपी घर के द्वारे
दही मथि के माखन बनायो ll
श्यामा मेरे…
तुम आओ मेरे द्वारे
बंसी की मधुर तान सुनाओ
जिसे सुन चित मेरा हो शांत
मस्त मगन मैं नाचू ऐसे
भूल जाऊ सब काम काज ll
श्यामा मेरे…
तुम आओ मेरे द्वारे
नित नए श्रृंगार करू मैं
जो दर्शन हो तुम्हारे
धन्य हो जाऊ मैं और मेरा आंगन
जब तुम आओ मेरे द्वारे ll