शौ गांवों का जमीदार हैं तू ;
शौ गांवों का जमीदार हैं तू ;
मैं तुझ से रत्ती सा नहीं डरता।।
तेरे दो कोड़ी के काम में खूबी निकाल ने वालो की भीड़ हैं,
मै एक दाने के बराबर तेरी खुशामद नहीं करता।
यह हाथ मिलाना और गले मिलना यह तो सिर्फ रिवाजे हैं
वरना आज भी चाहे घुटने चलू हाथ तुझ से मिला नहीं सकता।।