#शोहरत कैसे मिले
#नमन मंच
#रचनाकार राधेश्याम खटीक
#विषय शोहरत कैसे मिले
#दिनांक २६/१०/२०२४
#विद्या गीत
हम भी चले तुम भी चले, दीवाने हुए मंजिल के लिए !
सबकी है चाहत यहां… शोहरत कैसे मिलें. . .
सबकी है चाहत यहां… शोहरत कैसे मिलें. . .
हम भी चले तुम भी चले, दीवाने हुए मंजिल के लिए !
सबकी है चाहत यहां… शोहरत कैसे मिलें. . .
सबकी है चाहत यहां… शोहरत कैसे मिलें. . .
चैन यहां किसी को नहीं, चलना है किस दिशा…
मंजिल हमें पता नहीं..भटका है कारवां. .
चैन यहां किसी को नहीं, चलना है किस दिशा…
मंजिल हमें पता नहीं..भटका है कारवां. .
कोई खो जाए तो ? भले गिर जाए कोई ?
अपनी बला से वो ? काश मर ही जाए वो ?
उसके लिए फुर्सत कहां… जमीर सबका मर गया. .
उसके लिए फुर्सत कहां… जमीर सबका मर गया. .
पैसे बिना कुछ ना मिले, माया है तो सब अपने…
रो लेने दे ग़म को छुपा दु , आंसुओं के तले…
पैसे बिना कुछ ना मिले, माया है तो सब अपने…
रो लेने दे ग़म को छुपा दु , आंसुओं के तले…
प्रेम अब है कहां ? ममता बिकती यहां ?
मानवता ढूंढे जहां ? संस्कार पनाह मांगता ?
मिट्टी में मिल गई आस्था… धर्म अब कैसे बचें…
मिट्टी में मिल गई आस्था… धर्म अब कैसे बचें…
तुम और हम मेहमान बन, आये है धरती के आंगन….
दो चार दिन. का है ये घर, फिर चले जायें कहां हम तुम….
तुम और हम मेहमान बन, आये है धरती के आंगन….
दो चार दिन. का है ये घर, फिर चले जायें कहां हम तुम….
सब अपने भाई है, फिर क्या लड़ाई है !
माया की ख़ुमारी है, समझने की बारी है !
ऊपर वाले की रज़ा में मजा, प्रेम हम सबसे करें….
ऊपर वाले की रज़ा में मजा, प्रेम हम सबसे करें….
स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक