शोषण
पोषण के नाम पर शोषण
हर जगह है शोषण
चाहे हो रेल चाहे हो जेल
हर जगह है शोषण का खेल
कहीं श्रम शोषण
कहीं यौन शोषण
कहीं मन का शोषण
तो कहीं धन का शोषण,
कल कारखानों में मजदूरों
का शोषण
हॉस्पिटल दवाखाना में
मरीजों का शोषण,
अनाथालय में अनाथों का शोषण
विद्यालय में सनाथों का शोषण;
ये प्रकृति प्रदत्त है या ,मानव निर्मित
कुछ समझ में नहीं आता
क्योंकि बड़ी मछली छोटी मछली को खाती है,
और बड़ा वृक्ष छोटे वृक्ष का हवा पानी
कहना ये मुश्किल होगा इसकी शुरुआत
कहां से हुई ?
शायद बड़ा बनने की चाह
या विषय वासना से युक्त अय्याशी जीवन
जीने की उत्कंठा,
धर्म के नाम पर भक्तों का शोषण
गुरु शिष्य परंपरा में गुरु दक्षिणा के नाम पर
शोषण,
शोषण से मुक्ति का सायद हीं
हैं कोई युक्ति, क्योंकि नर नारी दोनो की है
इसमें संलिप्ति,
सरकार करे कर्मचारी का शोषण
कर्मचारी करे जनता का शोषण
अवरोही क्रम में चलता है शोषण
रुकता नहीं चलता है शोषण
मासूम बालाओं का यौन शोषण
करता है सारा सिस्टम,
देख हैरत अंगेज घटना
आती है इस्तीफे की नौबत
किंतु जांच फटकार में
बीत जाता है समय
और सब कुछ सपाट हो जाता है
फिर शुरू हो जाता है
शोषण……..