शोषण खुलकर हो रहा, ठेकेदार के अधीन।
शोषण खुलकर हो रहा, ठेकेदार के अधीन।
यह देख खिसक रही, पैरों तले जमीन।।
चाँद पर पहुँचा भारत, फिर भी ऐसा हाल ।
नौजवानो के जीवन में, नौकरी का अकाल।।
काम करना चाहते ना, मिले नही रोजगार।
खून के आँसू रो रहा, जब खर्चे हो अपार।।
लीलाधर चौबिसा (अनिल)
9829246588 चित्तौड़गढ़