शोर शराबे
की हर एक यहां मौजूद,
पर हर एक इससे अनजान।
सन्नाटे से है बेखबर,
शोर शराबे का इंसान।
रास्तों की भीड़ से ये बयां होता है,
ज़माने की दौड़ का,
कुछ ऐसा ही निशां होता है।
इन सवालों मैं यही जवाब मिला है,
बहती हवाओं का यही सिला है।
फक्त उतार चढ़ाव काम है,
ज़िन्दगी इसी का नाम….
इसीलिए खुद से अनजान हूं,
मैं नये ज़माने का इंसान हूं।