शोक संवेदना
हास्य
शोक संवेदना
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अभी अभी हमारी श्रीमती जी के पास
एक फोन आया,
बिना किसी भूमिका के उसने
मेरे आकस्मिक निधन पर शोक जताया।
बड़ा दु:आ हुआ सुनकर
रात सपने में देखा कि भैय्या नहीं रहे
यह जानकर बड़ा दु:आ हुआ
जैसे तैसे रात काटी,
सुबह उठते ही आपको
यही कन्फर्म करने के लिए फोन किया।
पहले तो श्रीमती जी हड़बड़ाई
फिर अपने पर उतर आईं।
जी भाई साहब अब किया भी क्या था सकता है
जाने वाले को रोका भी तो नहीं जा सकता है
फिर आना जाना तो सृष्टि का नियम है
इससे भला ऊपर कौन है?
फोन करने वाला भरे गले से बोल उठा
जी भाभी जी भैय्या बहुत अच्छे थे
बस थोड़ा कान के कच्चे थे,
बाकी तो उनके जैसा इंसान
इस धरती पर एक अजूबा जैसा था,
कब क्या करेंगे उन्हें ही खुद पता नहीं होता था।
श्रीमती जी ने हां में हां मिलाते हुए कहा
आप सही कह रहे हैं भाई साहब
कभी कहीं भी आते जाते बताकर नहीं जाते थे
कभी पूछती भी थी तो लड़कर निकल जाते थे
पर बताने की जहमत नहीं उठाते थे।
अब देखिए न जाना ही था
और वापस भी नहीं आना था,
तो कम से कम बताकर जाते
मुझे नहीं तो बेटियों को ही बता जाते
तो हम भी पड़ोसियों,नाते रिश्तेदारों को
यही बात भरोसे से बता पाते,
शिकायतें सुनने से तो बच जाते
कम से कम उनके लिए आज तो
हम चाय नाश्ता बना कर इंतजार न करते।
भगवान आपका भला करे
आपने उनके जाने की खबर दे दी
वरना दोपहर का खाना भी बनाकर बैठी रहती।
अब आप ही आ जाइए
उनके लिए बनी चाय के साथ नाश्ता भी कर जाइए,
साथ ही अपनी शोक संवेदना के साथ
उनकी अर्थी को श्मशान तक भिजवाइए
अपने शुभचिंतक होने का फ़र्ज़ तो निभाइए,
सोशल मीडिया पर यह खबर भी लगाइए
मुझे इस जहमत से छुटकारा दिलाइए,
अपने सपने की सच्चाई का प्रमाण दे जाइए।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश