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8 Jun 2019 · 1 min read

शैतान की नीयत

शैतान की नीयत में खोट होता है.
इन्सान क्यों खून के आँसू रोता है.?
बाल – बाँका कर सकेगा न कोई,
ऐसा न्याय क्यों. मजबूर होता है?

इन्सान.शैतान में फर्क यही होता है,
इन्सान सहज आत्म मुग्ध होता है,
शैतान नियत में खोट से,सेहत पर चोट से,
बारम्बार वार करता है|
केवल व्यक्ति नहीं,समूचे समाज को घायल करता है|

इंसान सहज मानव होता है,
परिस्थिति का गुलाम होता है
तृष्णा.मजबूरी संस्कारो के वशीभूत,
सभ्य समाज की पहचान होता है|

समाज के शैतानों को पहचाने कैसे?
घर घर के हैवानों को समझायें कैसे.?
गली मोहल्ले.खेतों खलिहानों में
छुपे दरिन्दों को,शैतान के कारिन्दों
को,
फाँसी के फन्दे पर चढायें तो चढायें कैसे?

डाप्रवीण श्रीवास्तव.08 06.2019

Language: Hindi
472 Views
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