जीवन जोशी कुमायूंनी साहित्य के अमर अमिट हस्ताक्षर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
यादों के अभिलेख हैं , आँखों के दीवान ।
" अधरों पर मधु बोल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
ना कर नज़रंदाज़ देखकर मेरी शख्सियत को, हिस्सा हूं उस वक्त का
सत्य
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
जिन्हें "हिंसा" बचपन से "घुट्टी" में मिला कर पिलाई जाएगी, वे
मां इससे ज्यादा क्या चहिए