शेर
ए जिंदगी जीने के दिन चाहे जो कम रहे
मगर जितना भी रहे,कोई शिकायत न रहे
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वक़्त हम पर यह भी आना था बाक़ी
बैठते जहां लोग उठ चले जाते एकाकी
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खूब बदला मैं ने चहेरा लगा के बालों में ख़िज़ाब
सांसें उखड़ी जब देखा मस्त जवानी का शबाब
सजन