शेर
(1)
आएगी एक दिन वो मेरे ख़ाबों की मल्लिका
ये सोच कर तमाम उम्र आँखों में गुजार दी
(2)
मैंने उसे दिल और उसने कलम थमा दिया
बड़ी जालिम है मुहब्बत शायर बना दिया
(3)
एक काँटा पाँव से मेरे निकलता ही नही
तीर दूजा दिल को मेरे करने छलनी आ गया
(4)
उल्फ़त में तेरे हमदम दुनिया को भुला देंगे
इक तेरी खुशी खातिर हम खुद को मिटा देंगे
(5)
रक्खे जो क़दम गुलशन में मेरे महबूब ने
खिल उठीं कलियाँ उसके इस्तेकबाल में
(6)
ज़माने की खुशी उसे मयस्सर नही होती
माँ की दुआओं से जो महरूम होता है