शेर
कुछ दर्द ऐसे भी है जिन्हें कोई बांट नहीं सकता
दाँतविहीन भोंकता है, पर वो काट नही सकता
खींच कर कमां नजर की, उसने कुछ ऐसे ताका
दिल मेरा बरबस बोल उठा, क्या हुक्म है मेरे आका
जब से इक बीबी के शौहर हो गए
वो भी मन्नू से, मनोहर हो गए
गुड़ जैसी थी मिठास, जिंदगी में
अब तो मिया गुड़ गोबर हो गए