Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
#16 Trending Author
*प्रणय*
68 Followers
Follow
Report this post
11 Aug 2023 · 1 min read
#शेर-
#शेर-
■ धरती के लिए बादल की बेरुखी वैसी ही है जैसी रूह के लिए किसी प्रियजन की।
■प्रणय प्रभात■
Language:
Hindi
Tag:
शेर
Like
Share
1 Like
· 201 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
You may also like these posts
Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,
Sakshi Tripathi
सम्मान
Sunil Maheshwari
" दिल "
Dr. Kishan tandon kranti
कितना कुछ सहती है
Shweta Soni
मंजिल यूँ ही नहीं मिल जाती,
Yogendra Chaturwedi
भोर की खामोशियां कुछ कह रही है।
surenderpal vaidya
मैं, मेरी मौत!!
अनिल कुमार निश्छल
लिख रहा हूं कहानी गलत बात है
कवि दीपक बवेजा
*** सफलता की चाह में......! ***
VEDANTA PATEL
जख्म भी रूठ गया है अबतो
सिद्धार्थ गोरखपुरी
Labour day
अंजनीत निज्जर
Confession
Vedha Singh
UPSC-MPPSC प्री परीक्षा: अंतिम क्षणों का उत्साह
पूर्वार्थ
# TRUE THING
DrLakshman Jha Parimal
शीर्षक -मातृभाषा हिंदी
Sushma Singh
अंदर कहने और लिखने को बहुत कुछ है
Shikha Mishra
3355.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
पत्थर
manjula chauhan
प्रेम
Satish Srijan
भुलाया ना जा सकेगा ये प्रेम
The_dk_poetry
I am Sorry
Mr. Bindesh Jha
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कुछ अभी शेष है
Jai Prakash Srivastav
ढूॅ॑ढा बहुत हमने तो पर भगवान खो गए
VINOD CHAUHAN
राम का आधुनिक वनवास
Harinarayan Tanha
रेत का ज़र्रा मैं, यूं ही पड़ा था साहिल पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हृदय बड़ा उद्विग्न है..
Priya Maithil
अपने प्रयासों को
Dr fauzia Naseem shad
सब्र का बांँध यदि टूट गया
Buddha Prakash
प्रसव
Deepesh Dwivedi
Loading...