माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
*यदि चित्त शिवजी में एकाग्र नहीं है तो कर्म करने से भी क्या
उफ़ ये गहराइयों के अंदर भी,
जिंदगी एक परीक्षा है काफी लोग.....
"मनुष्य की प्रवृत्ति समय के साथ बदलना शुभ संकेत है कि हम इक्
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
न जाने कहाँ फिर से, उनसे मुलाकात हो जाये
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्यार क्या होता, यह हमें भी बहुत अच्छे से पता है..!
हर इन्सान परख रहा है मुझको,
नवयुग निर्माण में हमारे सपने
कालू भैया पेल रहे हैं, वाट्स एप पर ज्ञान
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—1.
किया जाता नहीं रुसवा किसी को
अनंत है जिंदगी अनन्त के लिए
नैन (नवगीत)
Sarla Sarla Singh "Snigdha "