*जिस पर प्रभु की अति कृपा हुई, माया उसकी हर लेते हैं (राधेश्
करतीं पूजा नारियाँ, पावन छठ त्योहार
हे ब्रह्माचारिणी जग की शक्ति
रक्षा है उस मूल्य की,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जब भी लिखता था कमाल लिखता था
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
आज के समाज का यह दस्तूर है,
लोग रिश्ते या शादियों के लिए सेल्फ इंडिपेंडेसी और सेल्फ एक्च
जिंदगी के रंगों को छू लेने की,
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
शीर्षक -सावन में हरियाली!
मैं टीम इंडिया - क्यों एक अभिशापित कर्ण हूँ मैं!