अमीर-गरीब के दरमियाॅ॑ ये खाई क्यों है
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
प्यार और परवाह करने वाली बीबी मिल जाती है तब जिंदगी स्वर्ग स
हर चीज़ पर जल्दबाज़ी न करें..समस्या यह है कि आप अपना बहुत अध
दवाइयां जब महंगी हो जाती हैं, ग़रीब तब ताबीज पर यकीन करने लग
భారత దేశం మన పుణ్య ప్రదేశం..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कभी जलाए गए और कभी खुद हीं जले
फूल को,कलियों को,तोड़ना पड़ा
"खुद का उद्धार करने से पहले सामाजिक उद्धार की कल्पना करना नि
वो तारीख़ बता मुझे जो मुकर्रर हुई थी,
जीवन भर मरते रहे, जो बस्ती के नाम।
तुम्हारी आंखों के आईने से मैंने यह सच बात जानी है।
"बेचारी की फ़ितरत में, राग़ नहीं है ग़म वाला।
मुझे जब भी तुम प्यार से देखती हो
ईश्वरीय समन्वय का अलौकिक नमूना है जीव शरीर, जो क्षिति, जल, प