क्या ये किसी कलंक से कम है
वो जो आपकी नज़र से गुज़री अभी नहीं है,,
*नई सदी में चल रहा, शिक्षा का व्यापार (दस दोहे)*
नवरात्र में अम्बे मां
Anamika Tiwari 'annpurna '
जिन्दगांणी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मेरा होना इस कदर नाकाफ़ी था
ऐसे रुखसत तुम होकर, जावो नहीं हमसे दूर
अच्छा नहीं होता बे मतलब का जीना।
हाथों की लकीरों को हम किस्मत मानते हैं।
तेरे उल्फत की नदी पर मैंने यूंँ साहिल रखा।
सच्ची मोहब्बत भी यूं मुस्कुरा उठी,
KAMAAL HAI YE HUSN KI TAKAT
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नमामि राम की नगरी, नमामि राम की महिमा।
जंग के भरे मैदानों में शमशीर बदलती देखी हैं
Kp
Aasukavi-K.P.S. Chouhan"guru"Aarju"Sabras Kavi