क्या ख़ाक खुशी मिलती है मतलबी ज़माने से,
बोला नदिया से उदधि, देखो मेरी शान (कुंडलिया)*
एक इश्क में डूबी हुई लड़की कभी भी अपने आशिक दीवाने लड़के को
वैसे किसी भगवान का दिया हुआ सब कुछ है
हर पल ये जिंदगी भी कोई खास नहीं होती ।
श्री राम! मैं तुमको क्या कहूं...?
बुंदेली साहित्य- राना लिधौरी के दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सच तो जीवन में हमारी सोच हैं।
जब किनारे दिखाई देते हैं !
अपने ज्ञान को दबा कर पैसा कमाना नौकरी कहलाता है!