रहे सीने से लिपटा शॉल पहरेदार बन उनके
*याद है हमको हमारा जमाना*
23/75.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा इनाम हो तुम l
*महॅंगी कला बेचना है तो,चलिए लंदन-धाम【हिंदी गजल/ गीतिका】*
दर्द -दर्द चिल्लाने से सूकून नहीं मिलेगा तुझे,
Kabhi kabhi paristhiti ya aur halat
నేటి ప్రపంచం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
वतन से हम सभी इस वास्ते जीना व मरना है।
पहले खंडहरों की दास्तान "शिलालेख" बताते थे। आने वाले कल में
इश्क़ गुलाबों की महक है, कसौटियों की दांव है,
ज्ञान से दीप सा प्रज्वलित जीवन हो।
ढूंढा तुम्हे दरबदर, मांगा मंदिर मस्जिद मजार में
मेरे पास, तेरे हर सवाल का जवाब है