ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
होते हम अजनबी तो,ऐसा तो नहीं होता
हुस्नों ज़माल पर ये मचलता नहीं है क्यों
जननी हो आप जननी बनके रहो न की दीन।
Learn the things with dedication, so that you can adjust wel
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है चुपचाप सहने की भी
कितना मुश्किल है जिंदगी को समझ पाना
मैं हर पल हर कड़ में खुशी ढूंढता हूं
*यादें कोमल ह्रदय को चीरती*
" आज चाँदनी मुस्काई "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
पत्नी से पंगा लिया, समझो बेड़ा गर्क ।
*कुंडी पहले थी सदा, दरवाजों के साथ (कुंडलिया)*