शेर
क्यों जलाते हो घर किसी और का?
इतनी तबाही तनिक तकलीफ ना हुई तेरे सीने में?
कभी खुद का घर जलाकर तो देख,
कितनी तकलीफ होती है बेघर सी ज़िदगी जीने में?
शायर- किशन कारीगर
©भारतीय कॉपीराइट अधिनियम के तहत सर्वाधिकार सुरक्षित।
क्यों जलाते हो घर किसी और का?
इतनी तबाही तनिक तकलीफ ना हुई तेरे सीने में?
कभी खुद का घर जलाकर तो देख,
कितनी तकलीफ होती है बेघर सी ज़िदगी जीने में?
शायर- किशन कारीगर
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