शेर
12.12.16 ******* दोपहर 1.15
समझ नहीं आता इस हुस्न को क्या नाम दूं
एक हल्की स्मित सी मुस्कान को क्या नाम दूं ।।
?मधुप बैरागी
12.12.16 ******* सांय 4.25
ये दिवानी कहीं मुझको अब दिवाना ना बना दे
ऐ ख़ुदा उससे पहले तूं मुझको परवाना बना दे।।
?मधुप बैरागी
12.12.16 ************* सांय 4.27
आँखों से तेरे इश्क छलकता है और होठों से मय
गालों से ग़ुलाब की ख़ुशबू पीऊं तो कौन सा पय।।
?मधुप बैरागी
12.12.16 ******** सांय 4.35
आँखों में अक्स ये सुन्दर नाक नक्स किसका
आनन उजास फिर सुन्दर नखशिख किसका।।
?मधुप बैरागी