शेर
अपने अरमानों को खुद में ही दफनाऊ कैसे
तेरी खुशी के लिए दर्द में मुस्कुराऊ कैसे
तू थाम कर हाथ मेरा मंजिल का मालिक हो गया
मैं अकेली सफ़र पर अब लौट के जाऊँ कैसे
प्रज्ञा गोयल ©®
अपने अरमानों को खुद में ही दफनाऊ कैसे
तेरी खुशी के लिए दर्द में मुस्कुराऊ कैसे
तू थाम कर हाथ मेरा मंजिल का मालिक हो गया
मैं अकेली सफ़र पर अब लौट के जाऊँ कैसे
प्रज्ञा गोयल ©®