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29 Jul 2021 · 1 min read

शेर

रिश्ता निभाना आसान था पर निभा नही पाए
हमने चाहा उन्हें बुलाना पर वो नही आए

उनकी इन्तज़ार में गुजर गए दिन और रात
कोरोना के कारण हम भी कहीं जा नही पाए

मझधार में डूबती उतराती रही जीवन की नैया
काश के डूबती इस नाव को किनारा मिल जाय

जवानी के दरवाजे पर जब उसने दस्तक दी
खूबसूरती का समंदर हो और वो डूब कर आये

जाम लिए इंतजार करते रहे साकी का रात भर
तेरे मयखाने से हम यूँ ही प्यासे निकल आये

वीर कुमार जैन
29 जुलाई 2021

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 210 Views
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