शेर / मुक्तक
चले जब कलम मेरी तो हर वाक्य तेरा हो
डूबे जब मेरी नैय्या तो मझधार तेरा हो
क्या बताऊं किस हद तक चाहता हूं मैं तुम्हें
चले जब तक दिल की धड़कन हर सांस तेरा हो
चले जब कलम मेरी तो हर वाक्य तेरा हो
डूबे जब मेरी नैय्या तो मझधार तेरा हो
क्या बताऊं किस हद तक चाहता हूं मैं तुम्हें
चले जब तक दिल की धड़कन हर सांस तेरा हो