शेर (मयकदा)
1- दो घूँट सहारे जीते हैं
जीने के लिए जाम पीते हैं
मयकदा के सिवा है कौन अपना
मयकदे में सजदा करते हैं
2-यारों ये न पूँछो क्यूँ जाम नहीं पीते
बीते लम्हों को यादकर जब जाम हम थे पीते
तो मयकदे के मयकदे उजड़ जाते थे
और एक दिन मयकदे भी दर न आने की कसम दे बैठे
M.Tiwari”Ayen”