शेर..”उस एक की पहचान”
किन किन से उलझिएगा,
तुम्हारे जैसे सिर्फ तुम ही हो,
एक अकेले उसकी विशिष्ट कृति,
गौर फरमाईयेगा,
या फिर जिंदगी भर कष्ट पाईयेगा,
जो जी में आये वो करियेगा,
पर खुद को दुखी मत करिएगा,
उम्मीद उस एक पर रखिएगा,
उस एक को खोज निकालिएगा,
जिससे सब रचनाएं नृतकी है,
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डॉ महेंद्र सिंह खालेटिया,
रेवाड़ी(हरियाणा)