शेरनी का डर
वन्य संरक्षण सप्ताह हेतु
रचना 🐘🦏🐪🐫🦒🐃🐂🐂🐄🐖🐎🐑🐏🐐🦌🐈🐕🐇🐿🐁🐊🦈🐆🐅
शेरनी का डर 🐆🐅
हूं तो मैं जंगली की शेरनी
रानी, शेर की कहलाती
पर एक अनजाना भय से सहमी ,
चिन्ता गहरी है सताती
काट रहा मानव सब जंगल
होने लगा है जंगल में, अमंगल
कम हो रहे वन्य प्राणी सब ,
है शिकार का अकाल पड़ा
मानव दानव बन बैठा ,
फैलाया स्वार्थ का जाल बड़ा
कैसे भरूं पेट मैं बच्चों का अपनें
गुम हुये सब. ज़िराफ,हिरन मेमनें,
जंगल कटे हैं बाघ घटे हैं ,शेरों की संख्या बस नाम रही,
कैसे बचेगी हमारी प्रजाति,
डर से हृदय में काँप रही,
सुनों शिकारी ,मेरी दुहाई,
जंगल का दोहन कम कर दो
शेर डर रहे मानव से ,
उनका जंगल अमन कर दो
पर्यावरण की हम करते सुरक्षा
खाद्द श्रृंखला बनती जब ,
जंगल नष्ट कर रहा इन्सान ,
कहां जायें हम अब ,
हमको वन में रहनें दो ,
शहरों में जब हम आते हैं ,
हॉका लगा कर जाल बिछा ,
सब गोली हमपे चलाते हैं
“वन्य जीवसंरक्षण ” सप्ताह नहीं ,
अब हर दिन रक्षा करो वन्यजीव की ,
बचेगा जंगल ,होगा मंगल ,
रक्षा होगी हर सजीव की
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वृक्ष हमारी शान हैं ,
मेरा मुल्क महान है
कुमुद श्रीवास्तव वर्मा..🌳🌳