सर्द रातों में समन्दर, एक तपन का अहसास है।
समय को समय देकर तो देखो, एक दिन सवालों के जवाब ये लाएगा,
■ कितना वदल गया परिवेश।।😢😢
दोहा- छवि
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
उसकी कहानी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
मेरी सरलता की सीमा कोई नहीं जान पाता
यही सच है कि हासिल ज़िंदगी का
आज के समाज का यह दस्तूर है,
*स्वच्छ गली-घर रखना सीखो (बाल कविता)*
तूँ है कि नहीं है ये सच्च सच्च बता
पल पल रंग बदलती है दुनिया
*बदले नहीं है आज भी लड़के*
सिर्फ विकट परिस्थितियों का सामना