आदिवासी कभी छल नहीं करते
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर टूटा है
बहके जो कोई तो संभाल लेना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दोहा- छवि
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
उस दर पर कोई नई सी दस्तक हो मेरी,
इंसान को इतना पाखंड भी नहीं करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ी उसे
किसी को जिंदगी लिखने में स्याही ना लगी
हिन्दी ग़ज़ल के कथ्य का सत्य +रमेशराज
हमारी फीलिंग्स भी बिल्कुल
" जब तक आप लोग पढोगे नहीं, तो जानोगे कैसे,
नववर्ष 2024 की अशेष हार्दिक शुभकामनाएँ(Happy New year 2024)
तू सुन ले मेरे दिल की पुकार को
Change is hard at first, messy in the middle, gorgeous at th