मकड़जाल से धर्म के,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जब आपका ध्यान अपने लक्ष्य से हट जाता है,तब नहीं चाहते हुए भी
तड़के जब आँखें खुलीं, उपजा एक विचार।
दिन रात जैसे जैसे बदलेंगे
कविता के अ-भाव से उपजी एक कविता / MUSAFIR BAITHA
*कॉंवड़ियों को कीजिए, झुककर सहज प्रणाम (कुंडलिया)*
गीत "आती है अब उनको बदबू, माॅ बाबा के कमरे से"
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
माँ का प्यार पाने प्रभु धरा पर आते है ?
जब दिल से दिल ही मिला नहीं,
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तू है तसुव्वर में तो ए खुदा !
एक बाप ने शादी में अपनी बेटी दे दी