शून्य से शिखर तक
शून्य_से_शिखर
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शून्य से शिखर तक
सफर जारी है ,
संकल्प और इच्छा शक्ति की
उड़ान के संग ,
ये नीला व्योम है बादलों के संग
या ..,
नीला सागर जो ऊँची लहरों संग
पर्वत की ऊंचाई को नाप रहा है
शून्य से शिखर तक ,
चल पड़ा हूँ फतह करने को
उस ऊँचे पर्वत शिखर को
बुलंद हौसलों के संग
शून्य से शिखर तक ,
डिगा न सकेंगी हमें
ऊँचाइयां उसकी
डरा न सकेंगी हमें
ये सागर की लहरें
करके रहेंगे हम फतह
उस पर्वत की चोटी को
शून्य से शिखर तक का
सफर जारी है …. ||
शशि कांत श्रीवास्तव
डेराबस्सी मोहाली ,पंजाब
©स्वरचित मौलिक रचना
22-02-2024